सती किसे कहते है। सती एक ऐसी स्त्री है जो इतनी पवित्र है कि उसे कभी भी अपने पति के अलावा अन्य पुरुषों के बारे में कोई विचार नहीं होता है। वह मन, वचन और काया से किसी अन्य पुरुष की ओर आकर्षित नहीं होती है। सती वही है जो अपने पति के लिए अपनी… Continue reading हुलासो के सती माई
खा खा खइया
एक पडित जी थे , नाम उनका था भोला। पढ़े लिखे कुछ ख़ास न थे , परन्तु पुरे क्षेत्र में उनकी पंडिताई का खूब रोब था। पुरे गांव की जजमानिका वह ही सम्हालते थे। दूसरे गांव का भूले भटके अगर कोई पंडित आ भी जाए तो उसकी बेइज्जती करके भगा देते थे। उनका साफ़ साफ़… Continue reading खा खा खइया
खूंटा में दाल
एक चिड़िया थी, जो रोज दाना चुगने के लिए अपने बच्चों को घोंसले में छोड़कर, दूर जंगलों के पार बस्तियों में जाया करती थी। एक दिन किसी घुरे पर उसने एक चने का दाना पाई। वह उसे लेकर चक्की में दरने के लिए गई । दाल दरते-दरते एक दाल खूंटे में फंसी रह गई। एक… Continue reading खूंटा में दाल
नेवला और सात भाईयों की कहानी
एक राजा था उसकी सात रानियां थी। उस राजा की कोई संतान नहीं थी इस कारण वह बड़ा ही उदास रहता था। एक दिन उस राजा के राज्य में एक ब्राह्मण आए और राजा को एक फल दिए और बोले कि इस फल को अपने सातो रानियों में बांट देना। राजा ने ब्राह्मण के कहे… Continue reading नेवला और सात भाईयों की कहानी
लोकप्रिय भोजपुरी कहावतें और मुहावरे
भोजपुरी कमाल की भाषा है| जो बातें आपको किसी और भाषा में मामूली-सी लगेंगी, वही भाषा भोजपुरी में सुनने में अलग ही मज़ा आता है| कुछ ऐसी भोजपुरी कहावतें और मुहावरे, जिन्हें पढ़ कर आपका मूड सेट हो जाएगा| नव के लकड़ी, नब्बे खरच– बेवकूफी में खर्च करना खेत खाय गदहा, मारल जाय जोलहा– किसी और… Continue reading लोकप्रिय भोजपुरी कहावतें और मुहावरे
जिउतिया/जीवित्पुत्रिका व्रत क्यों मनाया जाता है
यह कथा महाभारत काल से जुड़ी हुई हैं | महा भारत युद्ध के बाद अपने पिता की मृत्यु के बाद अश्व्थामा बहुत ही नाराज था और उसके अन्दर बदले की आग तीव्र थी, जिस कारण उसने पांडवो के शिविर में घुस कर सोते हुए पांच लोगो को पांडव समझकर मार डाला था, लेकिन वे सभी… Continue reading जिउतिया/जीवित्पुत्रिका व्रत क्यों मनाया जाता है