एक राजा था उसकी सात रानियां  थी।  उस राजा की कोई संतान नहीं थी इस कारण वह बड़ा ही उदास रहता था। एक दिन उस राजा के राज्य में एक ब्राह्मण आए और राजा को एक फल दिए और बोले कि इस फल को अपने सातो रानियों में बांट देना। राजा ने ब्राह्मण के कहे अनुसार ही किया और फल को सातों रानियों में बांट दिया लेकिन सबसे  छोटी वाली रानी कुछ काम कर रही थी इस लिए वो अपना फल सिलवट पर रख दिया और खाना भूल गई तभी उधर से एक नेवला जा रहा था और उस फल को जूठा कर दिया। धिरे धिरे ‌समय व्यतित होने लगा और राजा के घर छ: पुत्र और एक नेवला ने जन्म लिया। समय वितता गया और सारे राजकुमार बड़े हो गए तब रानियों ने निश्चय किया कि अब राजकुमारो को काम करने के लिए दूसरे राज्य को जाना चाहिए। अपने भाईयों के साथ जाने के लिए नेवला भी जिद्द़ करने लगा तो सारे भाई उसकी खिल्ली उड़ाने लगे‌। अब इ नेवला का जात भी कमाने लगा।

सारे भाई नेवला को छोड़ के चले गए लेकिन नेवला उनके पीछे-पीछे हो लिया। जाते-जाते रास्ते में एक जामुन का पेड़ दिखा तो सबको नेवले की याद आई और अनावश्य ही बोल पड़े  “नेवला भाईयवा रहित तो जामुन खियाईत” नेवला ये सब बातें सुन रहा था और बोला मैं यही हूं । सब बोले बड़ी जोर की भूख लगी है जामुन खिलावो नेवला ने पेड़ पर चढ़कर सबको जामुन खिलाया। जामुन खाकर फिर सारे नेवला को पेड़ पे छोड़ कर भाग गए। फिर सबको बड़ी तेज प्यास लगी तभी रास्ते में उन्हें एक कुआं दिखा लेकिन पानी कैसे निकालें निकालने के लिए कुछ था नहीं प्यास से व्याकुल हो गए तो उन्हें नेवले की याद आई और बोले “नेउरा  भईयवा रहित त पानी पियाइत” नेवला फिर बोला मैं यही हूं । फिर उन्होंने नेवले से पानी पिलाने को कहा लेकिन इस बार नेवला नहीं माना और बोला तुम सब फिर मुझे छोड़ कर भाग जावोगे लेकिन वे सब बोले हम इस बार तुम्हें अपने साथ ले जाएंगे तो नेवला कुंआ में जाने को तैयार हुआ और सबको पानी पिलाया। लेकिन इस बार भी सारे भाई नेवला को छोड़ कर भाग गए नेवला चिल्लाता रहा कि मुझे कुआं से निकालो लेकिन नेवला को कुआं में छोड़ कर भाग गए।

कुछ ही देर बाद वहां एक धोबिन आई नेवला धोबिन से निकालने को कहा लेकिन धोबिन नही मानी। नेवला फिर से बोला मुझे निकाल दो बदले में तुम जो बोलोगी मैं वो करूंगा धोबिन बोली तुम नेवला की जात क्या करोगे लेकिन नेवला के बार-बार कहने पर धोबिन ने नेवला को निकाल दिया। और अपने घर लाई  जब धोबिन काम पे जाती तब नेवला धोबिन के बच्चे को खेलाता और घर का काम करता।इस तरह धोबिन नेवला से खुश रहने लगी।एक दिन धोबिन के बच्चे को शौच लगी तो उसने नेवले को शौच करवाने के लिए बोला, इस पर नेवले ने कहा ‘हगबे त हग मूतिहे मत मूतबे त मूत हगीहे मत’। बच्चा रोने लगा क्योंकि उसको दोनो आई थी। फिर नेवले ने पूछा बताओ तुम्हारी मां ने अपना सारा पैसा कहा रखा है। बच्चे ने बताया कि उस की मां ने सारा पैसा चुल्हा के नीचे गाड़ रखा है। नेवले ने सारा धन निकाल कर एक कानी गधा को खिला दिया। जब धोबिन आई तो नेवला कहने लगा कि मैं अपने घर को जाऊंगा मुझे मेरी मां की बहूत याद आ रही है। धोबिन बोली चले जाना और अपने साथ एक गधा भी ले जाना। नेवला पहले तो बेमन से मना कर रहा था। लेकिन धोबिन के बहुत कहने पर उसने कानी गधी को मांगा धोबिन बोली कोई अच्छा-सा गधा ले लो लेकिन नेवला के बार-बार जिद्द करने पर धोबिन मान गई और बोली ले जाओ ।

नेवला घर आकर अपनी मां को गधी दिखाया और बोला मैं ढेर सारा पैसा कमा के लाया हूं। नेवले की चाची और ताई खुब हंसी और व्यंग्य कहते भूले बोली ई नेउर के जाती का क्या के लाएगा लाया भी तो कानी गदही हमारे बेटे आएंगे तो ढेर सारा धन कमा के लाएंगे। नेवले ने गधी को ढेर सारा घांस भूसा खिलाया और जब गधी ने शौच किया तो ढेर सारा पैसा निकला सब के सब देखते रह गए कि पैसा देने वाली गधी है। अब नेवला के और भाई आए जो थोड़ा बहुत ही धन लाए तो उनकी मां गुस्सा करने लगी कि ये नेवला होके इतना सारा धन लाया और तुम सब बस यही लाए हो।रात भर सोच विचार करने के बाद सबने मिलकर यह फैसला किया कि नेवले से गधी खरीद लेते हैं। नेवला पहले तो ना नुकुर किया फिर बाद में बेच दिया। अब सारे भाई मिलकर गधी को खुब खिलाएं पर गधी ने कोई रुपया नहीं दिया। गुस्से में उन्होंने गधी की खुब पिटाई की तो गधी ने एक रूपया दिया और मार खाने के कारण गधी मर गई। इधर नेवला अपनी मां के साथ आराम से रहने लगा।