**बलिया के माटी के लाल: वीर सेनानी चित्तू पाण्डेय और उनका अदम्य साहस!**
नमस्कार बलियावालो! 👋
कैसे बानीं सब? आज हम रउआ सब के साथ एगो एतना खास कहानी शेयर करे जा रहे, जे सुनके बलिया के माटी के सुगंध और रउआ सब के दिल में और तेज धड़के लागल! हम बात करे जा रहे एगो ऐसे वीर सपूत के, जिनके नाम से आज भी हमरा सबके सीना गर्व से चौड़ा हो जाला – हमारे प्रिय चित्तू पाण्डेय!
बलिया, ये नाम अपने आप में एगो क्रांति है, एगो जोश है! और इस क्रांति की मशाल थामने वाले कई वीर रहे, लेकिन चित्तू पाण्डेय के बारे में का कहीं! 1942 के ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के बेला में, जब पूरा देश आजादी के खातिर उबाल मारत रहे, तब बलिया के सपूतों ने भी पीछे न हटे के ठान लिहल रहे। और इन सब में सबसे आगे रहे हमारे चित्तू पाण्डेय जी।
कल्पना करीं, ई आज से कई दशक पहले के बात ह। अंग्रेज सरकार के हुकूमत रहे, हर तरफ डर और खौफ के माहौल। लेकिन बलिया के वीर जवान, खास तौर पर चित्तू पाण्डेय जी, ई सब केहू से ना डरे। उनकर दिल में बस आजादी के आग धधकत रहे। वो खाली बात करे वाला नेता ना रहे, बल्कि कर्मठ जुझारू थे।
जब ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के आग पूरे देश में फैलल, तब बलिया के वीर नौजवानों ने, चित्तू पाण्डेय जी के नेतृत्व में, एक ऐसा कारनामा कर दिखाया, जवन इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गइल। उनने बलिया को अंग्रेज हुकूमत से आजाद करा लिहल! जी हाँ, आप सही सुन रहे हैं! कुछ दिनों के लिए ही सही, लेकिन बलिया ने अपना शासन खुद स्थापित कर लिया था। ई खाली एगो आंदोलन ना रहे, ई बलिया के स्वाभिमान के जीत रहे!
ई तब के बात ह जब गांधी जी के ‘करो या मरो’ के नारे ने पूरे देश को जगा दिया था। और बलिया के चित्तू पाण्डेय जी ने इस नारे को अपना हथियार बना लिया। उन्होंने बलिया की जनता को संगठित किया, जोश भरा और अंग्रेजों के खिलाफ सड़कों पर उतरने का आह्वान किया। उनकी आवाज में वो दम था कि आम आदमी भी ड़रना छोड़ कर उनके साथ चलने को तैयार हो गया।
ई सब खाली भाषण से ना भईल, इसके पीछे अनगिनत कुर्बानियां रहीं। चित्तू पाण्डेय जी ने खुद अपनी जान की परवाह ना कर के, लोगों को प्रेरित किया। उनकर त्याग, उनकर बलिदान, आज भी हमरा सबके लिए प्रेरणास्रोत बा। ये वो समय था जब बलिया सिर्फ एक जिला ना, बल्कि क्रांति का दूसरा नाम बन गया था।
आज जब हम अपने बलिया को देखते हैं, इसके विकास को देखते हैं, तो हमें इन वीर सेनानियों का स्मरण जरूर करना चाहिए। ये वही मिट्टी है जिसने चित्तू पाण्डेय जैसे वीरों को जन्म दिया, जिन्होंने अपनी जान हथेली पर रखकर हमरा सबके लिए ये आजादी का दिन लाया।
ई कहानी खाली एक व्यक्ति के बारे में ना ह, ई बलिया के हर उस नागरिक के हौसले के बारे में ह, जिसने उस समय इस क्रांति में अपना योगदान दिया। हमरा सबके फक्र होला कि हम बलिया के वासी हईं, जेकरा माटी में एतना goo…t (जज़्बा) ह, एतना goo…t!
हमारा वेबसाइट, www.BalliaLive.com, हमेशा बलिया के इहे सुनहरे पलों, इहे वीर गाथाओं को आप सब तक पहुंचावे के कोशिश करत रहीला। आप सब भी अपना प्यार और समर्थन यूंही बनाए रखीं।
जय हिंद! जय बलिया! 🇮🇳💖

