Dadri Mela

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बलिया को भृगु नगरी के नाम से भी जाना जाता है। महर्षि भृगु ने यहाँ घोर तपस्या की थी। उन्होंने यहाँ एक शिष्य परम्परा कायम की, उनमे से एक दर्दर भी उनके शिष्य थे। उन्ही दर्दर मुनि की याद में इस मेले का आयोजन किया जाता है। इसे पूर्वांचल क्षेत्र का सबसे बड़ा मेला भी कह सकते है।

यह मेला अक्टूबर - नवंबर में लगता है और लगभग तीन सप्ताह तक चलता है । यह मेला ददरी मेला ग्राउंड में लगता है। कहा जाता है की यहाँ गंगा स्नान तथा भृगु आश्रम का दर्शन करने से मनुष्य जनम जनम के पापों से मुक्त हो जाता है।

यह मेला दो चरणों में लगता है। एक पशु-मेला और दूसरा लोक-मेला अथवा मीना बाजार। पशु मेला का आरम्भ तो दिवाली के अगले दिन से हो जाता है। ददरी मेला पशु-मेला के लिए बहुत प्रसिद्ध है। यहाँ घोडा, बैल, गाय, आदि बड़ी संख्या में बिकने के लिए आते है। यहाँ देश के विभिन्न भागों से व्यापारी आते है। यहाँ घुड़ दौड़ भी होती है।

लोक मेला की शुरुवात कार्तिक पूर्णिमा से होती है जिसमें सभी प्रकार की वस्तुएं बिकती है। यहाँ नौटंकी, सर्कस, तमाशा आदि का आयोजन भी होता है।

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